सूरजपुर/पचीरा। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से चलाए जा रहे विशेष अभियान “एक पेड़ मां के नाम” के अंतर्गत सूरजपुर जिले के ग्राम पंचायत पचीरा में सामूहिक वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर एवं मुक्ति धाम परिसर में हुआ, जहां लगभग 2000 फलदार पौधे रोपे गए।
🌳 पर्यावरण के प्रति जागरूकता और मातृत्व को समर्पण
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान का उद्देश्य है – प्रकृति की रक्षा के साथ मातृत्व का सम्मान करना। इस अवसर पर नारियल, जामुन, अमरूद, नीम, कटहल, आम सहित विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों का रोपण कर लोगों को पर्यावरण सुरक्षा का संदेश दिया गया।
🧑🤝🧑 कार्यक्रम में गणमान्य जनों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर अनेक विशिष्ट अतिथि और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे:
मुख्य अतिथि: प्रेमनगर विधायक माननीय भूलन सिंह मरावी
विशिष्ट अतिथि: जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती चंद्रमणि परस्ते, जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती स्वाति संत सिंह, जनपद सदस्य भावना सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सत्यनारायण जायसवाल, सरपंच ग्राम पंचायत पचीरा सुंदरमणि मिंज, उप सरपंच अरुण राजवाड़े, डिप्टी कलेक्टर श्रीमती शिवानी जयसवाल, तहसीलदार सूर्यकांत साय
इसके अतिरिक्त नारी शक्ति समूह, उमंग महिला समूह, शिवनंदनपुर, गिरवर गंज और पचीरा सहित अन्य क्षेत्रों के ग्रामीणों ने भी बड़ी संख्या में सहभागिता की।
🌱 “श्रीराम वनगमन परिपथ” पर वृक्षारोपण का विशेष महत्व
यह वृक्षारोपण कार्यक्रम श्रीराम वनगमन परिपथ से जुड़े सिद्धेश्वर महादेव मंदिर और मुक्ति धाम परिसर में आयोजित हुआ, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल हैं। सामूहिक पौधारोपण से न केवल स्थल की सुंदरता बढ़ेगी, बल्कि भविष्य में यह क्षेत्र एक पर्यावरणीय पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित हो सकेगा।
📣 संदेश: “एक पेड़ मां के नाम – भावनात्मक जुड़ाव से प्रकृति की सुरक्षा”
“प्रकृति हमारी मां के समान है। जब हम मां के नाम पर एक पौधा लगाते हैं, तो उसके साथ भावनात्मक जुड़ाव भी बनता है, जिससे उसका संरक्षण स्वाभाविक रूप से होता है।”
— प्रेमनगर विधायक भूलन सिंह मरावी
📌 निष्कर्ष:
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान ने ग्राम पचीरा को न केवल हरित बनाया, बल्कि समाज में पर्यावरण संरक्षण की चेतना भी जगाई। इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि यदि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और जनता एकजुट होकर कार्य करें, तो पर्यावरण की दिशा में बड़ा बदलाव संभव है।