“हर दिन हादसे की दहलीज़ पर चल रहे हैं ग्रामीण – जवाब दो प्रशासन?
ग्रामीणों की जान जोखिम में, बरसात से पहले प्रशासनिक कार्रवाई जरूरी — गोबरी नदी पर बना पुल गंभीर खतरे की चेतावनी दे रहा है।
सूरजपुर, छत्तीसगढ़। सैकड़ों गांवों की लाइफलाइन कहे जाने वाला गोबरी नदी पर बना पुराना पुल अब मौत का पुल बनता जा रहा है। शिवप्रसाद नगर, डबरीपारा, और आसपास के दर्जनों गांवों को जिला मुख्यालय सूरजपुर से जोड़ने वाला यह पुल भारी बारिश के बाद से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुल की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वह कभी भी बह सकता है, जिससे सैकड़ों गांवों की कनेक्टिविटी पूरी तरह टूट जाएगी।
“यह पुल नहीं, जान का जंजाल बन गया है!”
सैकड़ों गांवों की जीवनरेखा गोबरी नदी पर बना यह पुल अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है।
नींव और बीम में गहरी दरारें, नीचे से बहती हुई मिट्टी, और टूट चुके खंभों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं, जिन्हें देखकर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की नींद उड़ जानी चाहिए।
📸 यह रही जमीनी हकीकत – तस्वीरें बोल रही हैं:
📍 पहली तस्वीर:
पुल की बीम से लोहे की रॉडें तक बाहर आ चुकी हैं, जो साफ दर्शाती हैं कि संरचना अब सहनशीलता खो चुकी है।
📍 दूसरी तस्वीर:
पुल के नीचे से मिट्टी बह चुकी है, कई खंभे हवा में झूल रहे हैं और पानी की तेज़ धार से पुल के हिस्से नदी में समा चुके हैं।
🚨 ग्रामीणों का आक्रोश – “कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा”
डबरीपारा, शिवप्रसाद नगर सहित दर्जनों गांव के लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही पुल की मरम्मत या नया पुल निर्माण कार्य शुरू नहीं होता, तो वे तहसील, जनपद और जिला मुख्यालय पर घेराव करेंगे।
🧱 25-30 किमी की दूरी बढ़ी, जीवन संकट में!
इस पुल के क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों को 25 से 30 किमी लंबा चक्कर लगाकर सूरजपुर पहुंचना पड़ रहा है।
📍 स्कूल, हॉस्पिटल, बाजार और खेत तक पहुंचना दुश्वार हो गया है।
“यह पुल कभी भी गिर सकता है, और यदि ऐसा हुआ तो प्रशासन के हाथ सिर्फ मलबा और मौतें लगेंगी।”
कब बना था पुल, कौन जिम्मेदार?
पुल के किनारे स्थित शिलालेख से मिली जानकारी के अनुसार, इस पुल का निर्माण छत्तीसगढ़ शासन के लोक निर्माण विभाग द्वारा वर्ष 2005 में सम्पन्न कराया गया था।
इसका लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा किया गया था।
उद्घाटन कार्यक्रम में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। निर्माण एजेंसी थी लोक निर्माण विभाग।
🧭 प्रशासन मौन, जवाबदेही गायब
ग्रामीणों का सवाल –
“कैसे बना इतना घटिया पुल?”
“अब तक निरीक्षण क्यों नहीं हुआ?”
“किस इंजीनियर ने दिया था सर्टिफिकेट?”
“जवाब तो देना होगा!”
✊ जनपुकार CG न्यूज़ की अपील:
प्रशासन तुरंत स्थिति का संज्ञान ले, इंजीनियरिंग रिपोर्ट बनवाकर मरम्मत या पुनर्निर्माण की कार्यवाही शुरू करे।
पुल गिरे इससे पहले सरकार जागे – यही जनपुकार है!