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गोबरी नदी पर स्थित पुल को टूटे 14 दिन से ऊपर हो गए पर सूरजपुर प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बना पाया.

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पुल टूटने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था पर क्या सूरजपुर कलेक्टर का आदेश व निर्देश हवा हवाई था किसी ने भी अमल नहीं किया?

जिस दिन पुल टूटा था उस दिन सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए कलेक्टर व दो दिनों बाद मंत्री के प्रतिनिधि पहुंचे थे

आश्वासन दिया पर, आश्वासन भी आश्वासन ही रह गया?

गोबरी नदी पुल के निरीक्षण पर मंत्री प्रतिनिधि, कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों ने दिया वैकल्पिक मार्ग बनाने का आश्वासन पर अभी तक कोई सुगबुगाहट नही।

जिन्हें सूरजपुर कलेक्टर ने जिम्मा सौपा वह भी हाथ खड़े करके बैठे हैं क्या जिले में कलेक्टर से बड़े हो गए है अधिकारी?

सूरजपुर। मानसून के सक्रियता के बाद लगातार हो रही बारिश के बीच सूरजपुर कोरिया के सरहद से गुजरने वाली गोबरी नदी पर बना पुल 20 साल में ही उपयोग विहीन हो गया, कई गांव का संपर्क टूट गया, यह पुल 20 साल पहले बना था और इस पुल को टूटे तकरीबन 14 दिन हो चुके हैं पर इस पुल से जुड़ने वाले गांव के आवागमन के लिए कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था अभी तक नहीं बन पाई है, लगातार बारिश के चलते ग्राम खूटरापारा डबरीपारा स्थित गोबरी नदी पर बना पुल पिछले महीने की 30 जून को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे डबरीपारा, खुटरापारा, भैरव पारा, गंगोटी, शिवपुर, बांसापारा, भंवराही, शिवप्रसादनगर,बडसरा सहित दर्जनों गांवों का जिला मुख्यालय सूरजपुर और कोरिया से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। स्कूल सहित कई आवागमन बाधित हो गए जिसे लेकर अब दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं, प्रशासन ने तत्काल ही विकल्प व्यवस्था के तहत पुल बनाने की बात कही थी जो आज 14 दिन बाद भी नहीं बना और ना ही इसे लेकर कोई सुगबुगाहट हो रही है, वहीं इस मार्ग से गुजरने वाले लोग काफी परेशान हैं खास कर स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए समस्याएं बढ़ गई हैं वहीं नौकरी पर जाने वाले कर्मचारियों सहित रोजमर्रा की जरूरत के लिए इस रास्ते से आने वालों को अब कई किलोमीटर का सफर अतरिक्त तय करना पड़ा रहा है, पर प्रशासन है कि आश्वासन देकर बैठ गई है ऐसा लग रहा है कि उन्हें इन सब बातों से कोई लेना-देना नहीं यह उनकी जिम्मेदारी ही नहीं है वहीं क्षेत्र की विधायक व मंत्री भी चुप्पी साधे बैठे हैं।

स्थिति तो यह है कि स्थानीय विधायक व मंत्री को जहां निरीक्षण करना चाहिए वहां पर उनके प्रतिनिधि निरीक्षण करके जिम्मेदारी निभाने की बात कर रहे हैं पर निरीक्षण करना ही क्या जिम्मेदारी है या फिर उसके लिए व्यवस्था बनाना आवश्यक है, बता दें कि इस आपदा की गंभीरता को देखते हुए कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी राजवाडे के मंत्री प्रतिनिधि ठाकुर प्रसाद राजवाड़े ने क्षेत्रीय दौरे में स्थल का निरीक्षण किया था, यह प्रतिनिधि के साथ-साथ यह उनके पति भी हैं पर क्या अपने मंत्री पत्नी से इस समस्या को जल्द से जल्द हल करवा पाएंगे? वैसे निरीक्षण के दौरान उन्होंने उपस्थित ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि शीघ्र ही पुल का नवीन इस्टीमेट बनवा कर स्वीकृति दिलाई जाएगी और गुणवत्ता पूर्ण नवनिर्माण कार्य भी जल्द प्रारंभ होगा। और जब तक पुल का निर्माण नहीं हो जाता वैकल्पिक मार्ग गंगोटी शिवपुर से आवागमन हेतु रोड में गिट्टी मुरूम आवश्यक कार्य कराया जाने अधिकारियों को निर्देशित भी किया था।

कलेक्टर ने भी किया निरीक्षण, वैकल्पिक मार्ग के लिए दिया निर्देश

घटना के तुरंत बाद सूरजपुर कलेक्टर एस जयवर्धन ने भी पुल टूटने की सूचना पर खुद मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और जनपद सीईओ, सेतु विभाग के अधिकारियों को वैकल्पिक मार्ग गंगोटी (शिवपुर) को जल्द तैयार करने के निर्देश दिए। लेकिन आज तक अधिकारियों के द्वारा रोड मरमत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया इससे यह पता चलता है कि अधिकारी कलेक्टर के निदेशों का कितना पालन कर रहे है, कलेक्टर ने भरोसा दिलाया कि नवीन पुल निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है और जल्द ही वैकल्पिक मार्ग के लिए अस्थायी समाधान की भी व्यवस्था की जाएगी। लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही है कार्य नहीं हुआ, पुल टूटने से ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मरीजों, स्कूली बच्चों और किसानों को रोजमर्रा के कामों में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जनपद पंचायत भैयाथान के सीईओ, एसडीओ और इंजीनियर सहित अधिकारीयो को गंगोटी मार्ग का निरीक्षण कर जीरा-गिट्टी डालकर अस्थायी मार्ग बनाने को निर्देशित कर चुके हैं। लेकिन आज तक उस दिशा में कोई ठोस कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि वैकल्पिक मार्ग निर्माण में तत्परता दिखाई जाए ताकि आवागमन जल्द सामान्य हो सके।

एक कच्ची सड़क को वैकल्पिक मार्ग बनाने का आश्वासन भी फेल

पुल टूट जाने के बाद एक कच्ची सड़क को वैकल्पिक मार्ग बनाने का आश्वासन दिया गया था वह कच्ची सड़क काफी खराब है उसमें मुरूम स्टोन डस्ट डालकर चलने योग बनाने की बात कही गई थी ताकि इस मार्ग से लोग आवागमन करके समस्याओं से कुछ निजात मिल सके पर ऐसा होता दिख नहीं रहा, कलेक्टर के आदेश निर्देश भी अधिकारी एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिए, वहीं कैबिनेट मंत्री के प्रतिनिधि व पति भी आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर फोटो खिंचवाकर अपनी गंभीरता दिखाकर चलते बने, अब समस्या जिसकी है वह झेलते रहे और समस्याओं को वह अपना हिस्सा बनाले, क्योंकि यह समस्या इतनी जल्दी दूर होने वाली नहीं है क्योंकि दूर करने वाले ही इस जिम्मेदारी से दूर बैठे हैं।

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