सावन के पहले सोमवार को शिवपुर धाम में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, अर्धनारीश्वर बाबा को किया जलाभिषेक
प्रतापपुर। प्रतापपुर से चार किलोमीटर दूर स्थित शिवपुर धाम बना आस्था का केंद्र,तथा प्रतापपुर के प्राचीन शिव मंदिर पक्की तालाब के सामने, वा पारदेश्वर शिव मुरली मंदिर मिशन रोड में बाबा भोलेनाथ के दरबार में मनोकामना लेकर पहुंचे श्रद्धालु के पहले सोमवार को श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। अर्धनारीश्वर रूपी बाबा जलेश्वरनाथ एवं प्रतापपुर स्थित शिव मंदिर, एवं परदेश्वर मंदिर,के दर्शन हेतु सुबह से ही हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर पहुंचने लगे और गंगाजल, दूध व पुष्प से जलाभिषेक कर अपनी मनोकामनाएं प्रकट कीं।
अद्वितीय है शिवपुर धाम की महिमा
यह प्राचीन शिवधाम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां का आध्यात्मिक वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य और अर्धनारीश्वर शिवलिंग की दुर्लभता इसे विशेष बनाती है। यहां शिव और शक्ति एक ही स्वरूप में पूजित होते हैं, जिससे यह स्थल समरसता और संपूर्णता का प्रतीक बन गया है।
सावन की पहली सोमवारी को श्रद्धालु ग्राम-ग्राम से पैदल, वाहन और बाइक से आकर सुबह चार बजे से ही लंबी कतारों में लग गए थे। हाथों में जल कलश, फूल और बेलपत्र लिए लोग अपने परिवार की खुशहाली, रोग निवारण और जीवन में सुख-शांति की कामना के साथ बाबा को जल चढ़ाते नजर आए।
धार्मिक माहौल में गूंजा ‘हर हर महादेव’
मंदिर प्रांगण भजनों, घंटियों और शंखध्वनि से गूंज उठा। महिलाओं ने पारंपरिक गीतों के साथ पूजा-अर्चना की। युवाओं ने जल लेकर बाबा के चरणों में अर्पित किया और बुजुर्गों ने मंदिर परिसर में बैठकर ध्यान-साधना की।
मान्यता और इतिहास
स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, इस स्थान पर शिवलिंग की उत्पत्ति स्वयंभू रूप में हुई थी, जिसे बाद में अर्धनारीश्वर स्वरूप में पूजनीय बनाया गया। मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से बाबा को जल अर्पित करता है, उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है। जहां सावन सोमवारी पर मेल जैसा माहौल देखने को मिलता है।
शिवपुर धाम की यह सोमवारी न केवल धार्मिक अनुष्ठान का अवसर थी, बल्कि यह श्रद्धा, परंपरा और एकता का जीवंत उदाहरण भी बनी। बाबा जलेश्वरनाथ की छाया में हजारों भक्तों ने मन, वचन और कर्म से आस्था की आहुति अर्पित की — यही है सूरजपुर की सांस्कृतिक आत्मा।