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बिश्रामपुर के ठेका मजदूरों ने एटक के नेतृत्व में शुरू किया क्रमिक भूख हड़ताल, 9 मांगों को लेकर कर रहे संघर्ष

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बिश्रामपुर क्षेत्र के केतकी खदान का है मामला

एस. के. एम. पी. एल. कंपनी और SECL पर मजदूरी भुगतान को लेकर लग रहा गंभीर आरोप

सूरजपुर/ बिश्रामपुर। केतकी भूमिगत खदान के ठेका मजदूरों ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर एटक के बैनर तले क्रमिक भूख हड़ताल प्रारंभ कर दी है। यह हड़ताल 21 जुलाई से शुरू होकर 25 जुलाई 2025 तक चलेगी। ठेका मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर खदान प्रबंधन और एसईसीएल के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। इस हड़ताल में एटक के केंद्रीय महासचिव अजय विश्वकर्मा और कांग्रेस के जिला प्रमुख नरेश राजवाड़े ने भी उपस्थित होकर समर्थन दिया।

बिश्रामपुर के ठेका मजदूरों ने एटक के नेतृत्व में शुरू किया क्रमिक भूख हड़ताल, 9 मांगों को लेकर कर रहे संघर्षखदान के ठेका श्रमिकों की 9 सूत्रीय मांगें

1. ठेका श्रमिकों की बहाली: केतकी भूमिगत खदान से हटाए गए सभी ठेका श्रमिकों को तत्काल सवेतन कार्य पर पुनः बहाल किया जाए।

2. वेतन कटौती पर रोक: पेटी ठेकेदार द्वारा श्रमिकों को एचपीसी वेज भुगतान के बाद आधा वेतन वापस लिया जाता है। यह प्रथा तुरंत बंद की जाए। जो श्रमिक वेतन वापसी से इंकार करते हैं, उन्हें कार्य से हटाया जाना अन्यायपूर्ण है — इस पर रोक लगे।

3. सीएमपीएफ फंड का भुगतान: एसकेएमपीएल के अंतर्गत रैली ग्रुप कंपनी में कार्यरत ठेका श्रमिकों के वेतन से जो सीएमपीएफ राशि काटी गई थी, उसका पूर्ण भुगतान उन्हें किया जाए।

4. वेतन पर्ची प्रदान किया जाए: सभी ठेका श्रमिकों को नियमानुसार हर माह वेतन पर्ची (Pay Slip) उपलब्ध कराई जाए।

5. नियमित अवकाश का अधिकार: श्रमिकों को श्रम कानूनों के तहत साप्ताहिक और वार्षिक छुट्टियाँ प्रदान की जाएं।

6. एरियर और बोनस का भुगतान: अवंती इलेक्ट्रिकल में कार्यरत ठेका श्रमिकों को अब तक लंबित एरियर एवं बोनस राशि का तत्काल भुगतान किया जाए।

7. सुरक्षा प्रहरियों को एचपीसी वेज और बोनस: केतकी खदान में कार्यरत सुरक्षा गार्डों को एचपीसी वेज स्कीम में लाया जाए। विगत दो वर्षों का एरियर और कोल इंडिया द्वारा घोषित बोनस राशि का भुगतान शीघ्र किया जाए।

8. चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था: ठेका श्रमिकों एवं उनके आश्रितों को चिकित्सा सुविधा एवं उनके बच्चों को शिक्षा की समुचित व्यवस्था की जाए।

9. स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार: खदान में दूरस्थ क्षेत्रों से अकुशल श्रमिकों की भर्ती कर स्थानीय युवाओं को रोजगार से वंचित किया जा रहा है। यह बंद हो और प्राथमिकता स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देने में दी जाए।

बिश्रामपुर के ठेका मजदूरों ने एटक के नेतृत्व में शुरू किया क्रमिक भूख हड़ताल, 9 मांगों को लेकर कर रहे संघर्ष

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरेश राजवाड़े ने हड़ताल के दौरान अपने उद्बोधन में कहा, “केतकी खदान प्रबंधन और एसईसीएल पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मजदूरों का आर्थिक शोषण करना भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि अपराधिक कृत्य है। हम मजदूरों के साथ हो रहे इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

बिश्रामपुर के ठेका मजदूरों ने एटक के नेतृत्व में शुरू किया क्रमिक भूख हड़ताल, 9 मांगों को लेकर कर रहे संघर्ष

एटक का समर्थन

एटक के केंद्रीय महासचिव अजय विश्वकर्मा ने मजदूरों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा, “यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक कि ठेका मजदूरों को उनका अधिकार नहीं मिल जाता। अगर जरूरत पड़ी तो हम आमरण अनशन भी करेंगे।”

बिश्रामपुर के ठेका मजदूरों ने एटक के नेतृत्व में शुरू किया क्रमिक भूख हड़ताल, 9 मांगों को लेकर कर रहे संघर्ष

इस अवसर पर सैकड़ों ठेका मजदूर उपस्थित रहे, जिनमें एटक के क्षेत्रीय अध्यक्ष हीरालाल, क्षेत्रीय सचिव सीटू यूनियन के देवमेन्द्र सोढी, पंकज गर्ग युवा नेता अनुपम फिलिप, धर्मेंद्र सिंह, वी. सी. जैन, मुरलीधरन, सजल मित्रा, सोमार साय, धर्मजीत, रामचंद्र, संजय, खुशियाल राम, महेंद्र किंडो एवं द्विवेदी जी, जोबगा सरपंच, पोड़ी सरपंच और अन्य कई प्रमुख नेता शामिल थे। सभी ने एकजुटता के साथ अपनी आवाज उठाई।

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स्थानीय ग्रामीणों का रोजगार संकट

एक और गंभीर मुद्दा जो मजदूरों ने उठाया है, वह है स्थानीय ग्रामीणों की रोजगार स्थिति। मजदूरों का आरोप है कि भारी संख्या में अकुशल कामगारों को अन्य जिलों से लाकर काम पर लगाया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों की नौकरियों पर संकट आ गया है। उन्होंने मांग की है कि स्थानीय ग्रामीणों को प्राथमिकता दी जाए और उनके रोजगार की व्यवस्था की जाए।

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निष्कर्ष

केतकी खदान के ठेका मजदूरों की इस भूख हड़ताल ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को उजागर किया है, बल्कि स्थानीय रोजगार के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला है। एटक और अन्य श्रमिक संगठनों द्वारा इस तरह के आंदोलन से यह स्पष्ट होता है कि श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता और संघर्ष आवश्यक है। जब तक ठेका मजदूरों की मांगें पूरी नहीं होतीं, यह हड़ताल जारी रहेगी, और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई जाएगी।

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