सूरजपुर। कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन के निर्देश पर जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजेन्द्र सिंह पाटले के समन्वय से जिले के सभी सरपंच सचिवों को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया अंतिम दौर में जनपद पंचायत भैयाथान और प्रतापपुर के समस्त सरपंच सचिवों “मेरा पंचायत बाल विवाह मुक्त पंचायत” के विजन को साकार करने हेतु प्रेरित किया गया। सूरजपुर को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री शुभम बंसल के मार्गदर्शन में कृत संकल्पित है।
प्रशिक्षण में जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल ने सभी सरपंच एवं सचिवों को संबोधित करते हुए बताया कि जनवरी 2025 में समस्त सचिवों को राज पत्र के माध्यम से छ0ग0 सरकार ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी बना दिया हैं सभी जन्म मृत्यु के अतिरिक्त विवाह दर्जा पूर्व से प्राप्त है। सभी जन्म मृत्यु अतिरिक्त विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 2006 से अधिकृत है। इसके लिए सभी को अपने पंचायत में विवाह पंजी संधारित करना है। और पंचायत होने वाले सभी विवाह का पंजीयन उसको करना है। विवाह कार्ड के साथ आधार और अंक सूची भी जमा कराये जिससे आपको कम उम्र में विवाह की जानकारी मिल जायेगी, कम उम्र विवाह की जानकारी होने पर आप तत्काल उसे रोकिये हमें सूचित करे। राज्य बाल संरक्षण समिति ने इस वर्ष 40 प्रतिशत ग्राम पंचायत को बाल विवाह मुक्त घोषित कराने का निर्णय किया है जो ग्राम पंचायत इसका प्रस्ताव पास कर देते है और अपने पंचायत में विवाह नही होने देते उन्हे 8 मार्च 2026 को पुरस्कृत किया जायेगा।
श्री जायसवाल ने कहा कि बाल विवाह करने से कई परेशानी खड़ी हो जाती है। कम उम्र मे विवाह से लडकी शारीरिक रूप से तैयार नहीं रहती है और ना ही मानसिक रूप से बालिका शिक्षा से भी दूर हो जाती है। और विकास से भी बालिका को शोषण से बचाना हैं “बालिका का विवाह तब, बालिका सक्षम हो जाये तब” ।
कार्यशाला को संरक्षण अधिकारी संस्थागत देखरेख अखिलेश सिंह ने भी संबोधित किया और कहा कि प्रत्येक पंचायत में बाल संरक्षण समिति का गठन किया गया है जिसमें सभी सरपंच इसके अध्यक्ष और सचिव इसके सचिव सदस्य है। सभी आ0बा0 कार्यकर्ता इसके सदस्य है। इसलिए जमीनी स्तर पर जब तक जागरूकता नहीं जाएगी, इस बुराई से मुक्ति संभव नहीं है। इसलिए सभी ग्राम पंचायत में इस हेतु पंचायत बैठको ग्राम सभी के बैठकों में सभी ग्रामीणों को इसकी जानकारी देनी होगी। गांव-गांव एवं सभी समाज में इस हेतु अभियान चलाना पडेगा।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 से बाल विवाह होने पर दो वर्ष की सजा एवं एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है। बाल विवाह होने पर विवाह करने वाले, अनुमति देने वाले बाल विवाह में सम्मिलित होने वाले, बाल विवाह में सहयोग करने वाले सभी के ऊपर अपराध पंजीबद्ध किया जाता है।
प्रशिक्षण सह कार्यशlला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विजेन्द्र पाटले, जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल, ए.पी.ओ. जिला पंचायत शशि सिन्हा, संरक्षण अधिकारी अखिलेश सिंह, यूनिशेफ से जिला समन्वयक हितेश निर्मलकर, चाईल्ड लाईन से जनार्दन यादव, रमेश साहू, प्रकाश राजवाड़े, दिनेश यादव उपस्थित थे।