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विवादित पटवारी की बार-बार तैनाती को लेकर उठा सवाल

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विवादित पटवारी की बार-बार तैनाती को लेकर उठा सवाल
एससीसीएल प्रभावित गांवों में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच जांच की मांग तेज
जाहिद अंसारी संवाददाता 
सूरजपुर/प्रतापपुर :—तहसील के एससीसीएल कोयला परियोजना प्रभावित गांवों में विवादित पटवारी नूरुल हसन की बार-बार पदस्थापना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्ष 2021 में मदननगर प्रकरण में शासकीय भूमि को निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज कराने के आरोप में निलंबन झेल चुके इस अधिकारी को विभाग ने एक बार फिर संवेदनशील हल्कों का प्रभार सौंप दिया है।
आज, क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ता मनीष कुमार गुप्ता ने अनुविभागीय जनदर्शन प्रतापपुर में आवेदन देकर कलेक्टर से नूरुल हसन की तैनाती और उनके कार्यकाल की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की।
पुराने आरोप और निलंबन
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2021 में मदननगर में शासकीय भूमि को निजी नामों पर दर्ज कराने का मामला सामने आया था। तत्कालीन एसडीएम की जांच में अनियमितताओं की पुष्टि हुई थी। नतीजतन, नूरुल हसन को निलंबित कर प्रेमनगर तहसील भेजा गया, लेकिन कुछ ही माह बाद वे पुनः प्रतापपुर लौट आए और मदननगर समेत कई अधिग्रहण प्रभावित गांवों का प्रभार संभालने लगे।
संवेदनशील गांवों में लगातार पोस्टिंग
नूरुल हसन की पोस्टिंग दूरती, मरहटा, सेंधोपारा, जरही, बंशीपुर, बोझा, मयापुर-2, जगन्नाथपुर, कनक नगर और मदननगर जैसे संवेदनशील गांवों में लगातार हुई है। ये क्षेत्र एससीसीएल परियोजना से प्रभावित हैं और करोड़ों रुपये के भूमि अधिग्रहण व मुआवजा वितरण से जुड़े हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नूरुल हसन ने अपने रिश्तेदारों और कुछ विभागीय कर्मचारियों के नाम पर अवैध जमीन खरीदी–फरोख्त कराई। इससे प्रभावित गांवों में मुआवजा वितरण प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
विभाग पर सवाल
विशेषज्ञ और स्थानीय लोग मानते हैं कि विवादित अधिकारी को बार-बार संवेदनशील इलाकों में तैनात करना विभाग की नीयत पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। उनका कहना है कि बिना संरक्षण के ऐसा संभव नहीं और इससे संदेह गहरा गया है कि विभाग जानबूझकर पुराने विवादों को दबाने की कोशिश कर रहा है।
जांच और कार्रवाई की मांग
आवेदन और क्षेत्रीय लोगों की मांग है कि नूरुल हसन को तुरंत संवेदनशील इलाकों से हटाया जाए। उनके पूरे कार्यकाल की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच बाहरी अधिकारियों से कराई जाए। साथ ही उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर खरीदी गई जमीन का परिसीमन कर सच्चाई सामने लाई जाए।
विवादित पटवारी की लगातार पदस्थापना से जिलेभर में प्रशासन की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। लोग चाहते हैं कि जिला प्रशासन इस मामले में शीघ्र और ठोस कदम उठाए, ताकि भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण प्रक्रिया पर जनता का विश्वास बना रहे

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