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महिला एवं बाल विकास विभाग एवं चिराग परियोजना द्वारा कुपोषण मुक्त सूरजपुर जिला हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन

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सुरजपुर 12 दिसंबर 2024 आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में कलेक्टर श्री एस जयवर्धन के नेतृत्व में कुपोषण मुक्त सूरजपुर जिला हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग एवं चिराग परियोजना द्वारा की गई। इस दौरान जिले में कुपोषण, एनीमिया के स्तर, उनके कारणों और उसके निदान के सम्बन्ध में गंभीर चर्चा की गई। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ, चिराग परियोजना के स्टेट हेड डॉ मयूर गुप्ता, सीएमएचओ एवं डीपीएम सूरजपुर, जिला कार्यक्रम अधिकारी, डीडी कृषि, डीडी पशुपालन, एडी उद्यानिकी, खाद्य अधिकारी, सहायक संचालक शिक्षा विभाग, एसी ट्राइबल, एडी मत्स्य, यूनिसेफ के प्रतिनिधि, चिराग परियोजना से सम्बन्धित गैर सरकारी संस्था एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

इस दौरान महिला बाल विकास अधिकारी ने जिले में कुपोषण की स्थिति एवं कुपोषण को दूर किए जाने के लिए चलाई जा रही योजनाएं और किए जा रहे उपाय के सम्बन्ध में जानकारी दी। साथ ही यहां की भौगोलिक परिस्थितियां, कुपोषण के कारणों जैसे बाल विवाह, गैर संस्थागत प्रसव, अभिभावकों में जागरूकता की कमी, अभिभावकों (माता एवं पिता) दोनों के नशे की लत, स्वास्थ्य समस्या की भी जानकारी दी गई। इस दौरान राज्य की विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो एवं कोड़कू जनजाति में पाई जा रही कुपोषण पर भी गंभीर चर्चा की गई।
इस अवसर पर डॉ. मयूर गुप्ता ने कुपोषण के कारणों,प्रभावो एवं इसे कम करने के उपायों को लेकर विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान कुपोषण को ग्रामीण क्षेत्रों में किस तरह से कम किया जा सकता है इस बारे में चर्चा की गई। उन्होंने ग्रामीण परिवारों में सेवन किए जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर चर्च करते हुए, पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों की पूरे वर्ष उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में सुनिश्चित करने की बात कही गई। कुपोषण के कारणों पर बात करते हुए गरीब एवं कुपोषण के शिकार लोगों का फूड सिस्टम को सही करने एवं चलाए जाने वाले स्पेसिफिक कार्यक्रम की बात कही गई।

इस बैठक में जिले में कुपोषण की स्थिति को सही करने के लिए शॉर्ट टर्म और लांग टर्म गोल बनाकर कुपोषण मुक्ति की कार्ययोजना में शामिल कर कार्य करने की बात कही गई। इसके लिए उपस्थित सभी विभागों की सहभागिता की आवश्यकता एवं इस उद्देश्य की पूर्ति में उनके रोल पर चर्चा की गई। कुपोषण मुक्ति के लिए पशुपालन विभाग के अधिकारियों से मांस आधारित खाद्य पदार्थों एवं दुग्ध उत्पादों की उपलब्धता के सम्बन्ध में चर्चा की गई। मत्स्य विभाग से इस सम्बन्ध में मत्स्य उत्पादन और उपभोग, इससे जुड़े लोगों के आजीविका तथा इसकी कुपोषण मुक्ति में उपयोग पर चर्चा की गई। खाद्य विभाग द्वारा कुपोषण मुक्ति हेतु वितरण किए जा रहे खाद्य सामग्री के सम्बन्ध में जानकारी दी गई। इस दौरान फोर्टीफाइड राइस वितरण और इस सम्बन्ध में लोगों में फैली भ्रांति को लेकर चर्चा की गई। गौरतलब है कि सामान्य चावल में फोर्टीफाइड चावल एक मानक अनुपात में मिलकर लोगों को उपलब्ध कराया जाता है परंतु भ्रांति के कारण फोर्टीफाइड चावल को उसे लोगों द्वारा अवांछित मानकर चावल से अलग कर फेक दिया जाता है। इसके अलावा शिक्षा विभाग में मिड डे मिल में पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सम्बन्ध में जानकारी, ट्राइबल विभाग द्वारा छात्रावासों में उपलब्ध कार्य जा रहे पौष्टिक भोजन की जानकारी, उद्यानिकी द्वारा बाड़ी विकास एवं विभिन्न बागवानी फसलों के उत्पादन की जानकारी प्राप्त कर उस पर चर्चा की गई। साथ ही कृषि विभाग द्वारा चावल के अलावा अन्य अनाजों के उत्पादन उसके पौष्टिकता के सम्बन्ध में जागरूकता के उपायों पर चर्चा की गई।

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