सूरजपुर। माह अप्रैल, मई एवं जून के गर्मी के प्रकोप को दृष्टिगत रखते हुए पशुपालकों व गौशाला संचालकों को प्रकार के उपाय करना चाहिए। जैसे- गौशाला में दोपहर के समय खिडकियों और दरवाजे को जूट या टाट से अच्छी तरह से ढक देना चाहिए और उस पर समय-समय पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। पशुओं को पीने के लिए ठण्डा व साफ सुथरा पानी हर समय उपलब्ध कराना चाहिए। गौशाला में प्रत्येक पशुओं को पर्याप्त मात्रा में स्थान उपलब्ध कराना चाहिए। पशुओं को हरा चारा खिलायें अगर हरा चारा उपलब्ध न हो तो पेड़ की पत्ती जैसे-आम की पती, बबूल की पत्ती. जामुन के पत्ते इत्यादि देना चाहिए। चूंकि गर्मी में पशु आहार खाना कम कर देते है, इसलिए संतुलित आहार देना चाहिए। गर्मी के मौसम में पशुओं को प्रातः काल 9ः00 बजे तक एवं शाम 5ः00 बजे के बाद चराने के जाना चाहिए क्योंकि इस समय तापमान कम रहता है। धूप से लाने के बाद कुछ देर छाया में बांधे तब पानी पिलायें। हमेशा पशुओं को बांधने के लिए छायादार और हवादार स्थान का ही चयन करें। गौशाला की छत के ऊपर पुआल डालें ताकि वह गर्म न हों। यदि संभव हो तो गौशाला में दिन के समय पंखे का इस्तेमाल भी करें।




गर्मी में पशुओं की करें उचित देख-रेख

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