तहसीलदार पर गंभीर आरोप, पीड़ित न्याय के लिए भटक रहा – आज होना है बटवारा
सूरजपुर। भटगांव तहसील में नामांतरण के नाम पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का गंदा खेल सामने आया है। ग्राम चुनगढ़ी निवासी रामशरण पिता रामलाल ने तहसील कार्यालय, पटवारी और अपने ही परिजनों पर ज़मीन हड़पने की संगठित साजिश का सनसनीखेज आरोप लगाया है।
⚖️ फर्जी दस्तावेज और झूठे हस्ताक्षर की पटकथा
रामशरण का दावा है कि 1987 की रीड पुस्तिका में केवल तीन नाम दर्ज थे, लेकिन हाल ही में फर्जी नाम जोड़कर उनकी पुश्तैनी जमीन का बिना सूचना व अनुमति के नामांतरण कर दिया गया।
पंचनामा में दर्शाए गए हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए। नामांकित व्यक्तियों से पूछने पर उन्होंने साफ़ इनकार किया कि उन्होंने किसी भी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं किए।
📜 बिना चस्पा ईश्तहार, बिना तिथि – पूरी प्रक्रिया संदिग्ध
नामांतरण प्रक्रिया के तहत जो ईश्तहार गांव में चस्पा किया जाना चाहिए था, वह न तो कभी चस्पा किया गया, न उस पर कोई तिथि, और न ही कोई अधिकारी का नाम अंकित है।
पीड़ित का आरोप है कि यह पूरी कार्रवाई तहसीलदार शिवनारायण राठिया, पटवारी और बाबुओं की मिलीभगत से अंजाम दी गई है, जिसमें कथित रूप से मोटा लेन-देन हुआ।
📌 BNS 2024 के तहत कड़ी कार्रवाई की माँग
रामशरण ने आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2024 की निम्नलिखित धाराओं के तहत अपराध दर्ज करने की मांग की है:
धारा 316 – धोखाधड़ी (पूर्व की IPC धारा 420)
धारा 334 – फर्जी दस्तावेज तैयार करना (पूर्व: 467)
धारा 335 – धोखाधड़ी के इरादे से फर्जीवाड़ा करना (पूर्व: 468)
धारा 336 – फर्जी दस्तावेज का उपयोग करना (पूर्व: 471)
धारा 62 – आपराधिक षड्यंत्र (पूर्व: 120B)
⚠️ फर्जी एग्रीमेंट, कब्जा और आर्थिक नुकसान
रामशरण ने बताया कि उनके चाचा के बेटों ने एक जाली एग्रीमेंट बनाकर जमीन पर कब्जा कर लिया और पिछली फसल भी बिना अनुमति काट ली। यह न केवल आर्थिक नुकसान है, बल्कि भूमि अधिकारों पर सीधा हमला है।
🚨 प्रशासन की चुप्पी और पीड़ित की पुकार
रामशरण ने 23 मार्च 2025 को थाना भटगांव में लिखित आवेदन दिया था, लेकिन आज तक कोई FIR दर्ज नहीं हुई, न ही प्रशासनिक जांच शुरू हुई।
अब वे जिला प्रशासन और राज्य सरकार से सीधी न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
क्या यह केवल एक मामला है या पूरे तंत्र में भ्रष्टाचार फैला है?
सूत्रों की मानें तो भटगांव तहसील कार्यालय में ऐसे दर्जनों फर्जी नामांतरण मामलों की शिकायतें दबाकर रखी गई हैं। अब सवाल यह है कि –
क्या सूरजपुर जिला प्रशासन इस ‘नामांतरण माफिया’ पर कार्रवाई करेगा? या जनता इसी तरह अपनी जमीनें गंवाती रहेगी?
भूमि नामांतरण में इस तरह की प्रशासनिक साजिश, न केवल कानून की धज्जियाँ उड़ाती है बल्कि गांव के आम नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का भी हनन करती है।
यदि अब भी समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह “भूमि माफिया” और अधिक बेलगाम हो जाएगा।