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पत्थलगांव के राजाआमा में पंचायत की जगह चल रही है लूटखसोट – ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप

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जशपुर। जिले के पत्थलगांव तहसील अंतर्गत  राजाआमा गांव अब विकास की वजह से नहीं, भ्रष्टाचार की पाठशाला के रूप में जाना जा रहा है। यहां पंचायत नहीं, बल्कि ‘लूट परिषद’ चल रही है जहां सरपंच की कुर्सी पर पत्नी बैठती है, रिमोट कंट्रोल पति के हाथ में रहता है, और सचिव आंख मूंदे नोटों की गिनती करता है।

14वां-15वां वित्त आयोग बना एटीएम

जनता की भलाई के लिए जारी लाखों की सरकारी राशि को पंचायत ने ‘सामूहिक तिजोरी’ समझ लिया है।

काम नहीं, फर्जी बिल – विकास नहीं, सिर्फ निकासी!

*शंकर यादव, स्थानीय जनप्रतिनिधि ने किया खुलासा :*“सरपंच, सचिव और उनके खास आदमी सितम्बर यादव के नाम से फर्जी बिल लगाकर योजनाओं की राशि सीधी जेब में चली गई। सड़क, शौचालय, रंगमंच सबकुछ कागजों में ही बना।”

सड़क नहीं, कीचड़ में तैरता विकास

मुरूम की जगह मिट्टी, और मिट्टी पर खुद की तारीफें।

शौचालय अधूरा, सांस्कृतिक भवन अधूरा, नरेगा का काम अधूरा, प्रधानमंत्री आवास अधूरा पर भुगतान हो गया पूरा-पूरा ! जनता पूछ रही है। “ये ‘ग्राम पंचायत’ है या ‘घोटालों का गोदाम’??…”

मनरेगा : मजदूर नहीं, मशीनें खा गईं पैसा –

काम होना था गरीबों से, कराया गया JCB से।

मजदूरों के नाम से पैसा निकाला गया और जेब में गया सरपंच-सचिव गैंग के।

लोकतंत्र की बुनियाद पर चला गया बुलडोजर!

रंगमंच बना घोटाले का मंच :

2017 में बाजारपारा में सांस्कृतिक भवन और रंगमंच की स्वीकृति मिली। आज 2025 है –

भवन अधूरा, रंगमंच वीरान, पर लाखों की राशि गुमनाम!

सरपंच नहीं, राजनीतिक गुर्गा

जब मीडिया ने सरपंच पति से बात की, तो जवाब में धमकी भरा गर्व झलका – “मैं कांग्रेस का नेता हूं। मुझ पर पहले भी जांच हुई, कुछ नहीं हुआ। मैंने बड़े-बड़े नेताओं को हराया है। मेरे पीछे बड़े लोगों का हाथ है। तुम लोग जो करना है करो।”

सवाल यह नहीं कि जांच हुई या नहीं… सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र अब नेताओं की बपौती है?

जनता की हुंकार – अब नहीं सहेंगे लूट का खेल!

भ्रष्टाचार पर तत्काल जांच हो।

घोटालेबाजों की संपत्ति जब्त हो।

अब राजाआमा बोलेगा, और पूरे जिले का शासन हिलेगा!

भ्रष्टाचारियों को चेतावनी – जनता जाग चुकी है, अब लाठी भी उठेगी और कलम भी चलेगी…!

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